Poem in hindi – दोस्त

हां, दोस्ती खूबसूरत है,

मगर मुझे तो दुश्मन की जरूरत है,

क्योंकि जब भी दोस्तों के संग रहा

मन में बहुत उमंग रहा

मन हरदम मस्त मलंग रहा

जैसे उड़ता पतंग रहा

मगर होता रहा कमजोर

हरपल ज्यों बेढंग रहा

ना कि कभी कोई परवाह

हर वक्त रहा बेपरवाह

दोस्तो संग कभी कोई

कमी महसूस नही हुई

हालांकि मैं होता रहा जर्जर

खोखला भीतर से खाली

होते गए मेरे हालात माली

दिल के हर जज्बात माली

छाया रहा आखों पे जाली

लेकिन नहीं! अब नहीं,

दोस्तों से दूर जा रहा हूँ,

होकर मजबूर जा रहा हूँ,

जा रहा हूं दुश्मनों के बीच

क्योंकि शत्रुओं से मिलती है,

सजगता और लड़ने की शक्ति

दुश्मनो के बीच खुलता है दिमाग

जब जलाते हैं नफरतों के आग

तो मालूम चलता है, की आखिर

क्या होता है मित्रता का अनुराग

और आती है समझ दोस्ती की

अहसास होता है उसके जरूरत की

हां ये सच है, की दोस्ती खूबसूरत है

मगर मुझे दुश्मनों की जरूरत है।